लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सूर घनाक्षरी विधान,२- हिन्दी हमारी शान 3- शिक्षक समाज का दर्पण

शिक्षक समाज का दर्पण

शिक्षक है समाज का दर्पण,
करता मनु चित्त का चिंतन। 
पथ को शपथ बनाता सबके,
 राह सुजाता कर मन मंथन।

सुदृढ़ समाज का यह निर्माता,
 बच्चों का वह भाग्य बनाता।
 पढ़ा लिखा कर प्रखर बनाता,
  तपा खरा सोना निखराता।

खुद जलता सम दिया बाती,
ज्ञान रोशनी जग में आती।
हर सुदृढ व्यक्तित्व के पीछे,
शिक्षक की मुस्कान है भाती।

छात्र और शिक्षक का रिश्ता, 
बड़ा है अद्भुत बड़ा अनोखा।
चाहे    डांटे   चाहे   मारे,
फिर भी शिक्षक सबको भाता।

छात्रों  से  सम्मान है पाता,
उन सबका आदर्श कहाता।
'अलका' का ऐसा ही नाता,
उसके छात्रों  को  है  भाता।

अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी' 
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित मौलिक व अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।

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7 Comments

Swati chourasia

07-Sep-2022 02:26 PM

वाह बहुत ही बेहतरीन 👌👌

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लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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Achha likha hai 💐

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